Exciting discounts on trekking now!
श्रीखंड महादेव
एक पौराणिक कथा
दैत्य बाणासुर की कथा
दैत्य भस्मासुर की कथा
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
पवित्रता और मोक्ष
प्रकृति और आत्मा का मिलन
प्रकृति की दिव्यता और आत्मा की शुद्धता
श्रीखंड महादेव यात्रा
यात्रा का रास्ता
यात्रा के प्रमुख पड़ाव
फोटो गैलरी
यात्रा की कठिनाइयाँ
यात्रा की तैयारी
ध्यान और आत्मचिंतन का अवसर
प्राकृतिक चुनौतियाँ और आध्यात्मिक विकास
टेण्ट की व्यवस्था
लंगर की व्यवस्था
पुलिस चौकियाँ
रेस्क्यू व्यवस्था
यात्रा के लिए पंजीकरण
भगवान शिव की घोर तपस्या
श्रीखंड महादेव का पवित्र स्थल
भगवान शिव का वरदान !
श्रीखंड महादेव यात्रा की कठिनाइयाँ
श्रीखंड महादेव यात्रा हिमाचल प्रदेश के कठिनतम धार्मिक और साहसिक ट्रेक्स में से एक मानी जाती है। यह यात्रा समुद्र तल से लगभग 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव शिला तक जाती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और ट्रेकर्स को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है:
1. ऊंचाई और ऑक्सीजन की कमी:
यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती ऊंचाई के साथ आने वाली ऑक्सीजन की कमी है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, हवा पतली हो जाती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे अक्लाइमेटाइजेशन की जरूरत पड़ती है, अन्यथा हाई एल्टीट्यूड सिकनेस हो सकती है।
2. कठिन रास्ते और खड़ी चढ़ाई:
श्रीखंड महादेव का ट्रेक बेहद कठिन और खड़ी चढ़ाई वाला है। कई हिस्से पत्थरों से भरे हुए हैं, और बारिश के मौसम में रास्ते बहुत फिसलन भरे हो जाते हैं। घाटियों और पहाड़ों के बीच रास्ता बेहद संकरा और अस्थिर होता है, जिससे संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
3. मौसम की अनिश्चितता:
यात्रा के दौरान मौसम कभी भी खराब हो सकता है। तेज बारिश, बर्फबारी, और ठंडी हवाएँ अचानक आ सकती हैं। यात्रियों को इसके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। कभी-कभी खराब मौसम के कारण यात्रा रद्द भी हो जाती है।
4. भोजन और पानी की सीमित उपलब्धता:
ट्रेक के दौरान सीमित भोजन और पानी की सुविधा होती है। रास्ते में कुछ ही स्थानों पर टेंट, धर्मशालाएँ या लंगर होते हैं, जहां पर यात्री ठहर सकते हैं या भोजन कर सकते हैं। स्वच्छ पानी भी एक चुनौती है, इसलिए लोग अपने साथ पानी ले जाना उचित समझते हैं।
5. शारीरिक और मानसिक थकान:
यह ट्रेक शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थकाने वाला है। कई यात्रियों को ट्रेक पूरा करने में 7-8 दिन लग सकते हैं, और प्रतिदिन 12-14 घंटे की चढ़ाई करनी पड़ती है। यह लगातार चलने और चढ़ाई करने के कारण शरीर को थका देता है, और मानसिक रूप से धैर्य की जरूरत होती है।
6. प्राकृतिक जोखिम:
यात्रा के दौरान खाईयों, चट्टानों के गिरने, और फिसलन से गिरने का जोखिम होता है। इसके अलावा, जंगली जानवरों और ठंड के कारण भी खतरा हो सकता है।
यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए उचित तैयारी, सही गियर, और गाइड की सलाह लेना जरूरी होता है।
Adventure
Experience the thrill of the Shrikhand Mahadev trek.
contact :
Mr Danny denta
© 2024. All rights reserved.
developed by : www.webdevelopers.online
Regd. Address : Shrikhand mahadev adventure,
Mohal & Village Fancha, Teh Rampur,
Shimla, H.P.